विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी

हम सभी ने अपने आसपास पक्षियों को तो देखा ही होगा। आप यदि शहर से होंगे तो आपने कम पक्षियों को देखा होगा परंतु आप गांव से होंगे तो आपने बहुत सारे पक्षियों को देखा होगा। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी कौन है? आज के इस लेख में हम दुनिया के सबसे तेज उड़ने वाले पक्षी के बारे में जानेंगे।

पेरेग्रीन फाल्कन – विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी 

यहाँ जानिए पेरेग्रीन बाज़ क्यों है विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी

पेरेग्रीन फाल्कन विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी के उड़ने की उच्चतम गति 389 किलोमीटर प्रति घंटा तक मापी गई है। यह पक्षी पृथ्वी का सबसे तेज गति वाला जानवर है। अभी तक इतनी तेज गति से उड़ने वाला कोई और पक्षी अथवा जंतु ज्ञात नहीं है। 

पेरेग्रीन फाल्कन शिकार करते समय आसमान में एक ऊंची जगह पर जाकर वहां से नीचे गोता लगाते हैं। इस दौरान उनकी स्पीड बहुत ही तेज हो जाती है, जो कि लगभग 322 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 389 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाती है। 

पेरेग्रीन बाज़ आमतौर पर अपने शिकार पर हवा में ही हमला करते हैं। अपने शिकार पर हमला करते समय यह अपने पंखों को कुछ इस तरह से मोड़ लेते हैं जिनसे उनकी गति बहुत तेज हो जाती है। इतनी तेज गति से हुए हमले से इनका शिकार कुछ ही सेकंड में बेसुध होकर गिर जाता है।

पेरेग्रीन फाल्कन (परदेसी बाज)

Beautiful Peregrine Falcon
Beautiful Peregrine Falcon

पेरेग्रीन फाल्कन हिंदी में इन्हें घुमंतू बाज अथवा परदेसी बाज कहते हैं। अलग-अलग भाषाओं में इस पक्षी के अलग-अलग नाम है जैसे उत्तरी अमेरिका में इसे डक हाक कहा जाता है। वहीं भारत में आम बोलचाल की भाषा में इसे बिहिरी, बहिरी या बहरी बाज़ कहा जाता है। इनकी प्रजाति विश्व भर में पाई जाती है।

संस्कृत भाषा में इन्हें धूमिका (चरकसंहिता में) एवं नीलच्छद श्येन (कल्पद्रुमकोष में) नाम से पुकारा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इस पक्षी के नाम का अर्थ (Peregrine) अर्थात “बाहरी” (comes from abroad) होता है। 

पेरैग्रीन फाल्कन फ़ैल्कोनीडाए परिवार समूह का एक पक्षी है। फ़ैल्कोनीडाए समूह में इनकी कुल 65 प्रजातियां शामिल है। नेशनल ज्योग्राफिक चैनल के एक टीवी प्रोग्राम के अंतर्गत इस बाज की उच्चतम मापी गई गति लगभग 389 किलोमीटर प्रति घंटा है। 

शिकारी प्रजाति के पक्षी होने के कारण इन्हें श्येन या शिकारा पक्षी कहते हैं। यह पक्षी तेज रफ्तार से अपने शिकार को पकड़ने के लिए सबसे अधिक विख्यात है। 

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विवरण

  • पेरेग्रीन बाज़ की पीठ नीले-भूरे रंग की होती है, इनके निचले हिस्से पर सफेद रंग की धारियां होती हैं एवं इनकी चोंच एवं आंख का अंतिम हिस्सा पीले रंग का होता है। 
  • पेरेग्रीन फाल्कन की लंबाई लगभग 34 सेंटीमीटर से लेकर 58 सेंटीमीटर (13-23 इंच) के आसपास होती है।
  • पंख फैलाने के बाद इनकी लंबाई 74 सेंटीमीटर से लेकर 120 (29-47 इंच) सेंटीमीटर तक होती है। 
  • इन पक्षियों में मादा का वजन नर के वजन से अधिक होता है।
  • इनमें नर का वजन 330 ग्राम से लेकर 1 किग्रा के आसपास होता है। वही मादा पक्षियों का वजन 700 ग्राम से लेकर 1.5 किग्रा के आसपास होता है।
  • अन्य शिकारी प्रजाति के पक्षियों के तरह यह पक्षी भी लैंगिक रूप से अलग-अलग होते हैं।
  • इन पक्षियों में मादाओं का आकार नर से 30% बड़ा होता है।
  • पेरेग्रीन बाज अधिकतर अनुकूल वातावरण में रहना पसंद करते हैं। यह पक्षी आमतौर पर शहरी क्षेत्र, तटीय क्षेत्र पहाड़ों एवं खुले जगह पर आवास करते हैं।
  • यह पक्षी बड़े शिकारी पक्षियों में गिने जाते हैं, जो अंटार्कटिका को छोड़कर विश्व भर में पाए जाते हैं।

प्रजनन एवं जीवनकाल

पेरेग्रीन बाज़ विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी
पेरेग्रीन बाज़ विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी

पेरेग्रीन बाज़ पक्षी आमतौर पर ऊंची चट्टानों अथवा ऊंची संरचनाओं पर अपना घोंसला बनाते हैं। यह अंडे देने के लिए उस जगह के सबसे ऊंचे स्थान को चुनते हैं। जैसे की बहुत ऊंचाई वाली बिल्डिंग अथवा इमारत, बड़े-बड़े पुल इत्यादि। जहां यह पक्षी एक बार में तीन से चार अंडे देते हैं।

इन पक्षियों का जीवनकाल अधिकतम 15 वर्ष तक हो सकता है। परंतु कई शिकार एवं दुर्घटनाओं में इनका जीवन काल बहुत कम हो जाता है एवं यह अपने पहले वर्ष तक जीवित नहीं रह पाते हैं। डीडीटी कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग होने के कारण उनकी कई प्रजातियां लुप्त हो चुकी थी। इन कीटनाशकों के कारण इनके अंडे का छिलका भी पतला हो गया था जिस कारण इनकी आबादी में बहुत तेजी से गिरावट आई थी।

डीडीटी जैसे कीटनाशकों पर प्रबंध लगाने एवं उनके व्यापक संरक्षण के प्रयासों के बाद, धीरे-धीरे उनकी जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन का नेचर अर्थात अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के सफल प्रयासों के कारण अब यह प्रजाति खतरे की स्थिति से नीचे है।

इन पक्षियों का एक सांस्कृतिक महत्व भी है जहां इन्हें गति एवं सटीकता से जोड़ा जाता है। कई देशों में इन्हें पाला भी जाता है। पेरेग्रीन फाल्कन की अधिकतम गति एवं सटीकता इसे एक असाधारण पक्षी बनती है।

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